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फिज़ाओं में देश की माटी की खुशबू आ रही है,
हवाएं जैसे गीत कोई गुनगुना रही हैं।
आकाश गुंजित है जय हिंद के नारों से,
याद प्रतिदिन कुर्बानियां आ रहीं हैं।
अब इससे ज्यादा क्या कहूँ,
क्या खासियत है मेरे देश की,
पूरी ही धरा जय हिंद जय हिंद गा रही है।
✍जूही खन्ना कश्यप
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