#ख्वाब पतंग ख्वाबों की उड़ रही थी, कोई मांझा उसे काटने को बेकरार था। लग रहा था यूं गले दिखाकर अपनापन, अंदर से मगर वह बड़ा ही धारदार था!!!!!
वीर जवान मेरे देश का जब शहीद हो गया, हवा भी चेहरे से कफ़न हटाती रही। जिंदादिली इतनी थी उसके चेहरे पर, देखने वालों की हैरान आंखे वहीं थम थम जाती रही। ✍जूही खन्ना कश्यप
फिज़ाओं में देश की माटी की खुशबू आ रही है, हवाएं जैसे गीत कोई गुनगुना रही हैं। आकाश गुंजित है जय हिंद के नारों से, याद प्रतिदिन कुर्बानियां आ रहीं हैं। अब इससे ज्यादा क्या कहूँ, क्या खासियत है मेरे देश की, पूरी ही धरा जय हिंद जय हिंद गा रही है। ✍जूही खन्ना कश्यप
वीर जवान मेरे देश का जब शहीद हो गया, हवा भी चेहरे से कफ़न हटाती रही। जिंदादिली इतनी थी उसके चेहरे पर, देखने वालों की हैरान आंखे वहीं थम थम जाती रही। ✍जूही खन्ना कश्यप
एक याद ही तो है जिसमें इंसान मरकर भी नहीं मरता। शरीर भले मर जाता है पर यादों में वह हमेशा जिन्दा रहता है।
यादों का कोई मौसम नहीं होता। ये बिन मौसम आ जाया करती हैं। कभी खिलती हैं होठों पर, और कभी आंखों से बह जाया करती हैं।
दिन शुरू होता है सूर्योदय से और अंत रात्रि पर लेकिन उस रात में भी चांद उजाला बन चमकता रहता है। अंधेरे में भी वो मद्धम रोशनी सकारात्मकता उत्पन्न करती है। उसी प्रकार हमें संघर्षों कठिनाइयों में भी अपनी चमक चांद की भांति बरकरार रखनी चाहिए। ✍जूही खन्ना कश्यप