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नन्हें नन्हें कदमों से जब चलती है बेटियां
कुछ की हवस जागती है ये समझती नहीं बेटियां
सूरज ढलने से पहले घर की चौखट बंद कर दी जाती है,
फ़िर भी ना जाने क्यूं कोसी जाती है बेटियां।।
ज़रा सी स्ट्रिप दिखने से चरित्रहीन कहलाती है
अरे बंद घूंघटो में भी तो लूटी जाती है बेटियां।।
Vibha Pathak
”