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नाकामयाब...

नाकामयाब बेशक हूँ, नासाज़ नहीं। यलगार नहीं हूँ, पर हारी भी कोई आवाज़ नहीं। टुकड़े तो बेशक कई दफ़ा किये हैं तुमने मेरे और आगे भी करोगी, हक़ है तुम्हारा पर अब तेरे रवैये से ऐ ज़िंदगी मैं नाराज़ नहीं। - Kaustubh Srivastava

By Kaustubh Srivastava
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