“
मेरे लिए तुम और तुम्हारे लिए में एक खोली किताब तो है ,
पर क्या करे नसीब बंद कर देती है ये किताब ,
इसकी पन्नो को कही उलझा देती है ,
फिर भी तुम्हारे हर वो प्यार अनमोल है मेरे लिए ,
तुम्हे हक है इस किताब को खोल के हर एक शब्द को पढ़ने की.
और मुझे हक है तुम्हे सम्भाल कर रखने की.
By.Priyadarsini Das
”