“
मेरे बिना कुछ कहे ही सब समझ लेना
गलती मेरी हो और उसको तुम्हारा सहन कर लेना
दूर रहकर भी मेरे लिए अपना फर्ज निभा देना
तुम्हारे लिए मेरे जिस्म के मायने नहीं खुद मेरी रूह में बसना और मुझे अपनी रूह में उतार लेना
मेरी छोटी सी छोटी खुशी का ध्यान देना
कैसे कह दूं तुम मेरे अपने नहीं
तुम मेरे अपनों से भी ज्यादा मेरे हो ।।अमृता
”