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मेघ जो छाया...

मेघ जो छाया था आकाश में उतर आया जमीन पर अंबर को हसीन करने.. धरती की तृषा बुझाने.. धरा को सुकून पहुंचाने.. (प्रथम वर्षा एवं महीनों से मेरी खामोश कलम) वर्षा के बहाने ही सही लेकिन मेरी साहित्य की सरिता में प्रवाह आया है..

By धीरज साव
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