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मैं खुली...

मैं खुली किताब नहीं कुछ राज तो हैं मिले ज़ख्म गैर नहीं कुछ खाश तो हैं जो चाहो, कुछ भी कहो "अजनबी" यादें ही सही आज कुछ पास तो हैं

By एम एस अजनबी
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