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माँ...

माँ तुम्हारी गोद याद आती है, माँ तुम्हारे आँचल से पोछि चोट याद आती है, याद आती है धूल से सनकर तुमसे आकर लिपट जाती थी, वो बचपन कि चकाचोंध याद आती है, माँ जब रसोई से बोलती थी मैं चुपके से तुम्हारे पास आती थी, तुम गले से लगाकर जब मुझे अपने हाथों से खिलाती थी, वो जब मैं थककर तुम्हारी गोदी में सो जाती थी, होली की सुबह जब मुझको तुम उठाती थी अपने हाथों से जब मेरा माथा सहलाती थी,

By Indian_syaahi075
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