student of literature, जो लिखता हूँ सच को ढाँचा बनाकर बदलाव का आकार देकर लिखता हूँ, ©SahityaGrapher ©syaahikasahitya075
Share with friendsजो उस पत्ते पर बैठी थी ओंस की बूँद, उस बूँद ने पल भर में हीरे सा गुमान हासिल कर लिया था, ©अजय पोद्दार 'अनमोल'
माँ तुम्हारी गोद याद आती है, माँ तुम्हारे आँचल से पोछि चोट याद आती है, याद आती है धूल से सनकर तुमसे आकर लिपट जाती थी, वो बचपन कि चकाचोंध याद आती है, माँ जब रसोई से बोलती थी मैं चुपके से तुम्हारे पास आती थी, तुम गले से लगाकर जब मुझे अपने हाथों से खिलाती थी, वो जब मैं थककर तुम्हारी गोदी में सो जाती थी, होली की सुबह जब मुझको तुम उठाती थी अपने हाथों से जब मेरा माथा सहलाती थी,
माँ तुम्हारी गोद याद आती है, माँ तुम्हारे आँचल से पोछि चोट याद आती है, याद आती है धूल से सनकर तुमसे आकर लिपट जाती थी, वो बचपन कि चकाचोंध याद आती है, माँ जब रसोई से बोलती थी मैं चुपके से तुम्हारे पास आती थी, तुम गले से लगाकर जब मुझे अपने हाथों से खिलाती थी, वो जब मैं थककर तुम्हारी गोदी में सो जाती थी, होली की सुबह जब मुझको तुम उठाती थी अपने हाथों से जब मेरा माथा सहलाती थी,
हाथों में दीया ले प्यास बुझाने चला, चला मुसाफिर भर पानी का घड़ा, यूं तो मिट्टी की खुशबू ही काफी थी यहाँ, अनमोल बारिशों ने रंग भी भर दिया, ©syaahi ka sahitya ©अजय पोद्दार 'अनमोल'
জীবনের প্রথম শিক্ষা স্থাপিত হতে যে ত্রুটি গুলি হয়ে সে ত্রুটি গুলি স্মৃতি গুলি জীবন কে নতুন একটি ঠিকানা দিয়ে আগে বাড়তে সাহায্য করে,স্মৃতি গুলি কোনোদিন মৃত হয়না,