“
माँ के चरणों में जन्नत होती है
हर किसी को जो नसीब नहीं होती है
बिन माँ के कैसा बचपन
उम्र वो सिर्फ यूँ ही कटी होती है
माँ ने सजाई बचपन की बगिया
हर दुख की घड़ी माँ से डरी होती है
आँचल की छाव ने ठंडक पहुँचाई
दुनिया में अनुभव की धूप जब तेज़ होती है
यूँ ही मेरे जीवन को पूरा करती रहना
माँ के आशीष से हर कमी दूर होती है
”