“
लोग कहते हैं
अपनों के सामने झुक जाया करो,
रिश्ते बचाने के लिए झुक जाया करो,
मैं पूछती हूँ वो अपने कैसे जो झुकाना चाहते हो,
और वो रिश्ता कैसा ? जिसे बचाने के लिए झुकना पड़े ।
मैंने खुद को झुकाया । इस कहावत को अपनाया ।
पर मैंने देखा लोग सर पर पैर रखकर सीढियां चढने लगे ।
--पूनम झा
कोटा, राजस्थान
”