“
दिल की बातें मन नहीं माने, मन की बातें दिल को भी गवारा नहीं,
मतभेद लोग बाहर ढूंढते हैं,जबकि अंतः ही एक दूसरे का सहारा नहीं,
कब, क्यों, कैसे, क्या जैसे सवालों के अंतर्द्वंद में जीता है मानव-
मेरे तेरे में ही उलझा पहुंचता उस पराव पर, जहाँ कुछ भी हमारा नहीं ।
--पूनम झा
कोटा,राजस्थान
Mob-Wats - 9414875654
”