“
लाचारी
जो साथ होकर भी अजनबी है।
जो पास होते हुए भी दूर है। आज तुम भूल चुके हो,
मैं तुम्हारी पत्नी हूं,
प्रेयसी नहीं,
जब तुम्हें पत्नी
और प्रेयसी में अन्तर समझ आयेगा,
तब बहुत देर हो चुकी होगी। बस मेरे नाम का एक झिलमिलाता तारा आसमान में नजर आयेगा।
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