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क्या दौर था वो भी, जब हमें अक्सर सुनने को मिलता हैं "हमारे जमाने में ऐसा हुआ करता था". बेशक! कुछ तो बात रही होगी। कहा हैं वो प्रेमी आज के, जो दूर किसी परदेस से, अपने प्रेमिका के लिए उनकी पसंदीदा कंगन, चूड़ियां लाकर अपने हाथों कलाइयां को संवारते थे! कभी महकते फूलों का गजरा. . .
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