प्रेम में पड़ना कठिन कहा, सबसे आसान है,
ना जाने कब, कैसे कैसे हो जाता,
मुश्किल तो हैं निभाना, एक दूसरे को एहसास दिलाना, प्रेम के इस दरिया को साथ पार करके, दूर तक जाना हैं, चाहे कितने भी उफान आए, साथ किनारे के, एक दूजे से बंधे!
क्या दौर था वो भी, जब हमें अक्सर सुनने को मिलता हैं "हमारे जमाने में ऐसा हुआ करता था". बेशक! कुछ तो बात रही होगी। कहा हैं वो प्रेमी आज के, जो दूर किसी परदेस से, अपने प्रेमिका के लिए उनकी पसंदीदा कंगन, चूड़ियां लाकर अपने हाथों कलाइयां को संवारते थे! कभी महकते फूलों का गजरा. . .