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कुछ करने की...

कुछ करने की प्रबल चाह, दूर करती है सारे अभाव। भरती हर पल नव उत्साह, पैसा बनता सहायक इसमें, देता है सकारात्मक प्रभाव। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

By Dhan Pati Singh Kushwaha
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