“
कर्मण्य व्यक्ति प्रारब्ध के भरोसे किनारे बैठ कर रोते नहीं,
कर्मशील हो स्वयं प्रशस्त करते मार्ग सफलता का,हौसला खोते नहीं।
कर्म हीन होकर प्रारब्ध के नाम पर दु:खों पर वे कभी रोते नहीं,
पहुंचते नहीं गंतव्य तक प्रारब्ध को बदल कर, चैन से वे सोते नहीं.....
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