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करके चाहे...

करके चाहे कोई भी सुंदर सा एक बहाना, जग में निज आगमन सार्थक हमें बनाना। विचलित न हों हम झूठी तारीफ या निंदा से , कर्म करें इस सोच संग हर पल हम जग में, प्रस्थान के बाद किस रूप में जाने हमें जमाना? @ गायत्री धन पति सिंह कुशवाहा @

By Dhan Pati Singh Kushwaha
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