“
कोई अता पता दिल का नहीं, जिस उम्र में मिली थी तुम,
लिख तो दिया कसम की से आज से मेरा नहीं हो तुम,
न जाने मगर क्यों तेरे दिल के कोई कोने में अब भी मेरा तस्वीर रखी हो तुम।
समुद्र जैसा तेरा गहरा प्यार जाने अनजाने में मुझे कितनी बार अपने पास खींचा,
और कितने बार वापस मुझे छोड़ दिया बहुत दूर तेरे से,
और यह मेरा बेशर्म दिल अभी चाहता है, और बहुत चाहता है
एक बार तेरे प्यार की समंदर में डूबने को फिर से।
”