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ज्यादा लंबी...

ज्यादा लंबी नहीं छोटी सी है दास्तां मेरी, खुद के बारे में जब भी सोचना चाहू रिश्तों की लंबी जिम्मेदारियां सामने आ जाती है, जब भी उदास हो जाती हूं तो रिश्तों की लंबी कतार में भी अकेली हो जाती हूं!! अनीता भारद्वाज

By Anita Bhardwaj
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