“
जब लीक होता है पेपर
तो लीक सिर्फ पेपर ही नहीं हो रहा होता है !
लीक हो रहा होता है उस बाप के हाड़ तोड़ मेहनत के खून पसीने की कमाई ,
उस माँ के जोगाये जेवर जो बड़ी संभाल के रखी थी
जो हर साल जितिया के समय ही निकालती है!
और लीक हो रहा होता है उस अभ्यर्थी के उम्र और अटेम्पट
!
जो मुट्ठी बांधे हथेली में रखे रेत की भांति धीरे-धीरे सब फिसल जाता है,
पेपर लीक के साथ ही लीक हो जाता है स्वंय का आत्मविश्वास
”