“
जब कभी लगाकर हाथ तुमने मुझे छुआ है,
मिलाने को तुझे तड़पता दिल मेरा बहुत ज्यादा खुश हुआ है।
फिर उस रोज रात तेज बुखार हो जाता, कैसा तेरा प्यार है जो मरीज बना दिया मुझे,
देखा जब तेरी नशीली आंखें और शरारती होठों को रात सपनों में,
बुखार हुआ कर के भी बताना भूल गया हूं तुम्हें,
हाय मेरी जान यह भी क्या मुसीबत है।
अमरेश..
”