STORYMIRROR
जब...
जब असहिष्णुता सर...
जब...
“
जब असहिष्णुता सर पे चोट करती है ,मंहगाईयाँ सर चढ़ के जब तांडव मचाती है ,तभी कविता भी द्रवित होकर नयनों से आँसू बहाती है@परिमल
”
17
More hindi quote from Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021
Download StoryMirror App