फिजिसियन
Share with friendsहमें लोगों से ही जुड़कर नया कोई काम करना है ! अकेले कुछ भी न होगा सबों के साथ चलना है !! @ डॉ लक्ष्मण झा परिमल
करो तुम बात ही सबसे, उसे अपना बना लो तुम ! करो तुम प्यार की बातें, उसे खुद में छुपा लो तुम !! @ परिमल
नहीं कुछ भी यहाँ सबका, सदा रहता नहीं हर दिन ! करें क्यों हठ किसी से हम, नहीं रहता बराबर दिन !! @ परिमल
यह आकाश आज भला मौन क्यों है ? अनगिनत तारे नभ में जगमगा रहे हैं ! सब अपने में प्रकाश समेट लिया है , अपने घरों में तारे खुशियाँ मना रहे हैं !! @ परिमल
देश के हैं प्राण ,गाँवों में ही बसते , उनकी मेहनत से ,ही हम निखरते ! पहाड़, जंगल ,झील ,झरने हमारे , रक्षाकवच बनकर ,हमारे साथ रहते !! @परिमल
कैसे समझेंगे मित्र आपको ,कभी आपने कुछ बोला नहीं ! व्यर्थ जुड़े हैं फेसबुक में ,कभी आपने संज्ञान लिया नहीं !! @ परिमल
समझे आप महान हैं लेकिन रंगमंच पर फेसबुक मित्र हैं! संवाद आज तक नहीं किया ,आभार से भी हम बँचित हैं!! @ परिमल