फिजिसियन
Share with friendsबड़े बन जाओ लोगों में गल्ती सुधार तुम कर लो ! कभी भी तुमको जो बोले उसे स्वीकार तुम कर लो !! गलतियाँ होतीं हैं सबसे सिखाती गलतियाँ हमको ! विनम्रता के गुणों को भी सिखाती प्यार से हमको !! @ डॉ लक्ष्मण झा परिमल
जब असहिष्णुता सर पे चोट करती है ,मंहगाईयाँ सर चढ़ के जब तांडव मचाती है ,तभी कविता भी द्रवित होकर नयनों से आँसू बहाती है@परिमल
चलो विश्राम को छोड़े नया कोई काम ही कर लें ! पड़ें हैं वर्षों से पीड़ित उनका उत्थान ही कर लें !! @ परिमल
चलो विश्राम को छोड़े नया कोई काम ही कर लें ! पड़ें हैं वर्षों से पीड़ित उनका उत्थान ही कर लें !! @ परिमल
हमें लोगों से ही जुड़कर नया कोई काम करना है ! अकेले कुछ भी न होगा सबों के साथ चलना है !! @ डॉ लक्ष्मण झा परिमल
करो तुम बात ही सबसे, उसे अपना बना लो तुम ! करो तुम प्यार की बातें, उसे खुद में छुपा लो तुम !! @ परिमल
नहीं कुछ भी यहाँ सबका, सदा रहता नहीं हर दिन ! करें क्यों हठ किसी से हम, नहीं रहता बराबर दिन !! @ परिमल