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इन्तज़ा...
इन्तज़ार का मज़ा...
इन्तज़ार का...
“
इन्तज़ार का मज़ा ही कुछ अलग है,
तड़प ये मिलने की भी अब अलग है,
सफर अब यों रोमांचक हो चला कि,
मंज़िल की बेड़ियों की बात ही कुछ अलग है।
”
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