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हुआ तो कुछ...

हुआ तो कुछ भी नहीं मगर, मिले फुर्सत तो पूछ लो मेरी आंखों से रातें किसी अभी गुजराती है, अब तुम बिछड़ रही हो तो बरसात हो रही है। मेरे शौक भी थे बड़े अजीब हैं, जो देखना चाहे रोज तुझे करीब से, आंखों में मेरे आंसू देख होंठ रख दिया करती थी मेरे आंखों में, अब रुला रही है मुझे, कभी बहुत खुश था मैं जुड़ के जिस दिल से। अमरेश राऊत...

By amresh rout
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