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हमारे इश्क़...

हमारे इश्क़ को यूं नीलाम न कर.. बदसलूकी के दौड़ में खुदको बेलगाम न कर.. माना..!! मुहब्बत मुकद्दर के नहीं हमारे हाथ में थी..!! मगर बेज़ारो के बाज़ार में हमे बदनाम न कर। ( Anjum khatun )

By Anjum Khatun
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