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गिरफ्त...
गिरफ्त मे हूँ...
गिरफ्त मे...
“
गिरफ्त मे हूँ समय की मैं, न जाने कब आज़ाद हो जाऊ ।
खोने से अब कुछ डर नहीं लगता, शायद इंसान से बदलकर सिर्फ एक याद हो जाऊ ।
”
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