“
घर
अब घर भी बोल उठा है क्यो तेरा अपना तुझसे रूठा है?
बेफिजूल मरम्मत मत कर मेरे छत और दीवार की,
सवारना है अगर जिंदगी खुशियो की बहार से,
बस थोड़ी सी फिक्र कर अपने परिवार की,
रेत सीमेंट ईट पत्थर को जोड़ कर मेरी नीव बनती है,
पर परिवार के प्रति दिल मे प्रेम इज्जत चाहत रखने से भारतीय परम्परा झलकती है ।
”