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एक जल...
एक जल की धारा से...
एक जल की...
“
एक जल की धारा से थे हम
ना रास्ता मालूम था, ना मंजिल का पता!
जब चलने की ठान ही ली,
बेख़ौफ़ होकर चल पड़े हम !!
- सुमेर सिंह आर्य संस्थान
”
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