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दयालु-भाव...

दयालु-भाव ही मनुज का धर्म है, सदा पालन करते रहें हम निज धर्म। रक्षण-संरक्षण जड़-चेतन का करते रहें, अस्तित्व को बचाने हित,बड़ा जरूरी कर्म। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

By Dhan Pati Singh Kushwaha
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