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दुनियादारी...
दुनियादारी...
दुनियादारी...
“
दुनियादारी निभाते हुए दुनिया में,
अनेकानेक सुख-दु:ख सहते हैं।
हम न इतराएं और न ही घबराएं,
ये धूप-छांव से आते-जाते रहते हैं।
@ डी पी सिंह कुशवाहा @
”
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