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दरकते...
दरकते हृदय की...
दरकते हृदय...
“
दरकते हृदय की पथरीली राहें ये
गमों की गोद में चित्कारती आहें ये
बोझिल हुई सांसों की धुँधली तस्वीर है
हाँ बंधी हुई कोई जागीर है
--कंचन प्रभा
”
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