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दिलों में...

दिलों में ओज भरती है सुबह की नव आहट सुनहली धूप से लब पे है बिखरी मुस्कुराहट न कोई गीत गूँजा है सजा न साज अब कोई सुकून देती है बस चिड़ियों की प्यारी चहचहाहट

By Dr.Purnima Rai
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