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देश-काल...
देश-काल-परिस्थिति...
देश-काल-परिस...
“
देश-काल-परिस्थिति आधारित,
होती हैं अक्सर धार्मिक परंपराएं।
जीवन की सार्थकता को हैं समेटे,
आने वाले कल हेतु इन्हें हम मनाएं।
@ डी पी सिंह कुशवाहा @
”
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