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भावना में मत बहो...
थोड़ा मनन चिंतन करो, विवेक को भी स्थान दो।
सरल राह को मत चुनो, संयम पर भी तो ध्यान दो।
मुश्किल है भाव को रोकना, स्वयं ही स्वयं को टोकना।
आवेग है अगर प्रवाह में, आवेश भी होगा साथ में।
परिणाम पर भी विचार हो, नई ऊर्जा का संचार हो।
गहन एक श्वास तुम भरो, पश्चात् उचित निर्णय करो।
”