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बढ़ते-घटते, रोज...
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बढ़ते-घटते,...
“
बढ़ते-घटते, रोज भरते-भरते, तारों से मांग मेरी। अमावस के रोज, क्यों गायब हो जाता है वो चांद बैरी।।
”
By
Priyanka Jhawar
284
चांद
येबैरीजग
जिनकेलिएकोईस्पष्टीकरणतथाकोईक्षमानमांगनीपड़े।
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hindi quote
from
Priyanka Jhawar
सर्व पाहा
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