“
बचपन में दुनिया की डर से,
खुद को कैद कर लिया,
जब समझ आई खुद की पहचान,
खुद को खुद में ही समेट कर रख लिया,
थोड़ी हिम्मत जुटाई जब खुद के लिये लड़ने की,
तो दुनिया की डर से अपनो ने भी किनारा कर लिया,
हमारे एहसासों को भी तो समझो कोई,
हमने इंसान होकर कौन सा गुनाह कर दिया..
#gay
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