“
आस्तीन के साँप भला क्या गैरों पर प्रहार करेंगे
जिनको तुम अपना कहते हो वो क्या नामर्द लड़ेंगे
शिवम अन्तापुरिया
लगता था शायद कि वो अब सुधर जाएगा
नहीं था पता कि वो और ज्यादा बिगड़ जाएगा
नहीं तो हम खुद को इतना लचीला नहीं करते
गर होता पता कि वो सारे दाँव मुझपर ही आज़माएगा
शिवम अन्तापुरिया
”