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आंसूओं जैसी...
आंसूओं जैसी...
आंसूओं जैसी...
“
आंसूओं जैसी तब्सिरा,
इंसान भी नहीं कर सकता।
जब-जब शब्दों के नस्तर चुभे,
ह्रदय में लगे क्षत पर,
मरहम बन सुकून देता रहा।
-Suneeta Gond
”
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