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आज फिर...
आज फिर नींद को...
आज फिर नींद...
“
आज फिर नींद को आँखो से बिछड़ते देखा
अपनी जिंदगी को ख्वाबों से लड़ते देखा
मिलने आती थी जो संवरकर मेरे लिए
आज उसे भी किसी और के लिए संवरते देखा
”
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