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✍️ आज...

✍️ आज गणतंत्र दिवस है ✍️ मैं सोचता हूँ , क्या दे पाउँगा ? जो मैंने यहाँ जन्म लेकर जो पाया है इस देश से, क्या मैं इसका ऋण कभी चुका पाउँगा ? जो मैंने पाया है इस देश से, फैलाना है मुझे देश के सम्मान की भावना, शायद......, इस तरह नज़र मिला पाऊं इस मेरे वतन से, खोया है हर इस देश के सपूतो ने, जाने किस होड़ में, दिलाना है याद, सभी को बस उस जनता को, आज गणतंत्र दिवस है, मौका है सबो जगा दूं, हम सबको मिलकर

By वैष्णव चेतन "चिंगारी"
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