“
आज भले ही नाम मत ले जुबा पर कोई गम नहीं मुझे ,
कल तेरे पर ही लिखी किताब तू खरीदती घूमेगी बाजार में ,
और नहीं मिलेगी तुम्हें वो किताब जिसमें तुमको काली तस्वीर में दर्शाया है ,
कहना तो पड़ेगा धर्म वीर की किताब मिलती है क्या इस बाजार में ।
–धर्मवीर राईका
”