फिर अचानक कैसे बदल गया परिदृश्य सोच कर भी दुखी है मन - प्राण निरुत्तर से हैं मानों भगवान।। फिर अचानक कैसे बदल गया परिदृश्य सोच कर भी दुखी है मन - प्राण निरुत्तर से हैं...