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Rajeev Pandey

Children Stories

4  

Rajeev Pandey

Children Stories

वो दिन

वो दिन

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वो अपना स्कूल पुराना वो दोस्तों का नजराना

वो घर से न जाने का बहाना

 दोस्तों की चेयर खींचकर उन्हें गिराना

 न जाने कहाँ खो गए वो दिन।


वो लंच टाइम से पहले खाना

अचार की खुशबू कक्षा में फैलाना

 वो छत पर जाकर गप्पे लड़ाना

न जाने कहाँ खो गए वो दिन।


वो घर से बहुत लेट आना 

सर दर्द का बहाना बना प्रेयर में न जाना

 इंग्लिश वाले सर को न पढ़ाने के लिए मनाना

 न जाने कहां खो गए वो दिन।


वो हिंदी की कक्षा में बिन पूछे सो जाना 

बैठना लास्ट बेंच पर और हल्ला मचाना

फिजिक्स वाली मैम का प्रश्न पूछना

 न जाने कहाँ खो गए वो दिन।


वो मैथ्स के प्रियड में प्रश्न बनाना

फिजिक्स प्रैक्टिकल में बाहर घूमना 

केमिस्ट्री प्रैक्टिकल में बीकर तोड़ एसिड गिराना

 न जाने कहाँ खो गए वो दिन।


वो संडे को खेलने एडम्स पहुँच जाना

रोज शाम को नंदा देवी के चक्कर लगाना

 वो 3 घंटे का पेपर 1 घंटे में कर दिखाना

 न जाने कहां खो गए वो दिन।


परीक्षा के दिन भय फैलाना

 वो लंबे बालों के लिए रोज डाँट खाना

ट्यूशन के बहाने दूर तक घूम आना

न जाने कहाँ खो गए वो दिन।


वो प्रिंसिपल सर का हमें डराना

 जाड़ों की एक्स्ट्रा क्लास छत पर लगाना

 वो इंपॉर्टेंट क्वेश्चन नोट कर ले जाना

न जाने कहां खो गए वो दिन।


बिन निमंत्रण किसी भी शादी में घुस जाना

खाना दबाकर और नाच कर भी आ जाना

 टीचर के देखते ही मुंह छुपा कर भाग जाना

न जाने कहाँ खो गए वो दिन ।


परीक्षा के समय खाँसकर बुलाना

सवाल ना आने पर मुँह बनाना

 छुट्टी के बाद खूब मौज उड़ाना

न जाने कहां खो गए वो दिन।


दिन तो अब भी आते हैं

 पर उनमें वह बात नहीं होती 

दोस्त तो अब भी मिलते हैं 

पर स्कूल वालों जैसी मुलाकात नहीं होती।।




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