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Mahesh Prasad Sharma

Children Stories

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Mahesh Prasad Sharma

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कल (कविता)

कल (कविता)

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कल जो बीत गया, वह कल था, 

कल आने वाला दिन भी कल है।

कलरव करते पंछी प्यारे, 

सरिता मृदु - स्वर भी कलकल है।।1।।


लोग कहते हैं---

छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी।

नए दौर में लिक्खेंगेहम मिल नई कहानी।।।।2।।


कल एक मतलब मशीन है, 

कल के काम आज निबटाती।

फोड़ा करती है पहाड़ को, 

दर्जी से कपड़े सिलवाया।।3।।


वैज्ञानिक- युग में मशीन से

कपड़े होते साफ।

मजदूरों की रोजी छीनकर, 

कहती करना माफ।।4।।


"कलियुग "अब " कलयुग "है बंधु, 

आज बना मानव मशीन है।

हो रही विलुप्त भावना, 

बुद्धि के आगे बनी दीन है।।5।।


है " महेश " का कहना यारो, 

आज के काम न कल पर छोड़ो।

करलो काम आज सारे तुम, 

समय की चट्टानों को फोड़ो।।6।।


किसे पता है "कल" आएगा, 

केवल आज तुम्हारा है।

समय की कीमत जिसने की है, 

बन जाता ध्रुवतारा है।।7।।


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