आ प्रियतम हृदय के पट खोल दूँ मैं अब
आ प्रियतम प्रीत के तट सब तोड़ दूँ मैं अब ...
मिलन का अवसर है आया ..
मन पर वसंत है छाया ...प्रपोज डे है आया ...
गर प्रेम में समर्पण हो ,
रिश्ते में आपसी समझ हो
तो हर डे रोज डे है ...
रास्ते की उलझने डराएँगी बहुत ,
पर हे पथिक होकर निड़र , चलना अथक
जब तक न मिल जाए पाँव को सुपथ ....सुपथ ...
मनोज कुमार सामरिया “मनु"