खुशबू
ससुराल भी पीहर है
मायके सा ही सबका जिगर है
आँखें भीगती यहां भी अपनों के लिए
माँ-बाबा सा ही अंगना और खुशबू इधर है
एकता कोचर रेलन
शिकायत उसको भी है !
शिकायते मुझको भी है!!
इक तरफा प्यार में-
ये बात कहां है!!
एकता कोचर रेलन
उसे फिर दुल्हन सा सजाया गया
जब उसका जनाजा उठाया गया
तड़पी उम्र भर वो सिंदूर की खातिर
सुहाग के हाथों ये कैसा स्वांग रचाया गया
एकता कोचर रेलन